पंजाबी अध्यापक एवं भाषा प्रचार प्रसार सोसाइटी हरियाणा के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेशाध्यक्ष इंदरजीत सिंह भट्टी के नेतृत्व में अपनी मुख्य मांगों को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी से उनके चंडीगढ़ स्थित सरकारी आवास पर मुलाकात कर उन्हें मुख्यमंत्री बनने पर गुलदस्ता भेंट करते हुए हार्दिक बधाई दी। अपनी बात को रखते हुए उन्होंने माँग की कि पंजाबी को राज्य की दूसरी भाषा का दर्जा प्राप्त है और 50 लाख से अधिक लोग पंजाबी भाषी हैं, और संगठन के सर्वे अनुसार प्रदेश के 9 बड़े ज़िलों में 1640 प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं यहाँ बच्चे पंजाबी पढ़ने के इच्छुक हैं, इसलिए कक्षा तीसरी से सरकारी और निजी स्कूलों में पंजाबी भाषा पढ़ाई जानी चाहिए। नई शिक्षा नीति के अनुसार भी प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जानी चाहिए। हरियाणा राज्य में इस नए सत्र से छठी से दसवीं तक त्रिभाषी फॉर्मूला लागू किया जाए और बच्चों को अपनी पसंद की तीन भाषाएं पढ़ने की छूट दी जाए। उन्होंने एक और मांग रखते हुए कहा कि सभी स्कूलों में पंजाबी प्रवक्ता और अध्यापकों के पद दिए जाएं और कैप्ट पदों को तुरंत खोला जाए और पंजाबी अध्यापकों और प्रवक्ताओं की नियुक्ति की जाए और ट्रांसफर प्रक्रिया के दौरान पंजाबी अध्यापकों के पद कैप्ट न किए जाएं क्योंकि पंजाबी भाषा केवल पंजाबी शिक्षक ही ठीक से पढ़ा सकते हैं और 2017 में कुछ पदोन्नत पंजाबी शिक्षकों को विभागीय कमी के कारण रिवर्ट कर दिया गया था और माननीय उच्च न्यायालय के 2019 के आदेशानुसार योग्य पंजाबी शिक्षकों को पदोन्नति देने के आदेश दिए गए थे, जिसका अभी तक पालन नहीं किया गया है। उन्होंने मांग की कि संस्कृत और हिंदी विषयों की तरह योग्य पंजाबी शिक्षकों को भी वरिष्ठता सूची जारी करके पंजाबी प्रवक्ता के पद पर पदोन्नत किया जाए। स्कूलों में पंजाबी विषय की किताबें समय पर पहुंचाई जाएं। संगठन के महासचिव सुनील गोयल ने मांग की कि पंजाबी शिक्षकों की चल रही भर्ती जल्द पूरी की जाए, कौशल विषयों को भाषा का विकल्प न बनाया जाए, भाषा का विकल्प केवल भाषा ही हो। उन्होंने मांग की कि पंजाबी साहित्य अकादमी के पदों को बहाल कर पंजाबी साहित्यिक गतिविधियां बढ़ाई जाएं, स्कूलों में बच्चों के लिए पंजाबी विषय से संबंधित प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएं और शैक्षणिक टूर आयोजित किए जाएं। शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन किया जाए।संस्कृत ओ. टी. की तरह पंजाबी ओटी को भी बी. एड. के बराबर माना जाए। 50% से कम अंक होने के कारण जिन पंजाबी अध्यापकों के ए. सी.पी. मामले लंबित हैं, उन मामलों को मंगवाकर देय लाभ दिया जाए। पी.एच. डी. और यूजीसी नेट पास और सहायक प्रोफेसर की योग्यता रखने वाले पंजाबी प्रवक्ताओं को सहायक प्रोफेसर के पद पर प्रमोशन देने का प्रावधान किया जाए और कोटा तय किया जाए। पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए। सोसाइटी के उपप्रधान डॉ हरजीत गिल ने बताया कि कुछ प्राचार्य विद्यार्थियों को पंजाबी विषय देने में भी आनाकानी करते हैं, जिससे पंजाबी पढ़ने के इच्छुक बच्चे पंजाबी भाषा पढ़ने से वंचित रह जाते हैं इस बात का कड़ा संज्ञान लिया जाए। मुख्यमंत्री ने संगठन के प्रतिनिधियों की पूरी बात गंभीरता से सुनी और सोसाइटी के प्रतिनिधियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि जल्द ही उच्च अधिकारियों से बातचीत कर के उनकी मांगों को जल्द पूरा करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। इस मौके पर संगठन के वरिष्ठ उपप्रधान डॉ गुरदीप सिंह, प्रेस सचिव डॉ अशोक लाम्बा, राज्य कमेटी सदस्य जसमत सिंह सैनी, हरबंस सिंह मान अंबाला, डॉ बलविंदर सिंह, कश्मीर सिंह, देविंदर सिंह तूर फतेहाबाद, हरविंदर सिंह, मेहरवान सिंह कुरुक्षेत्र व अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
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